आसमानी चम्मचों की कहानी है
शायरी | नज़्म हेमन्त कुमार शर्मा1 Jun 2025 (अंक: 278, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
आसमानी चम्मचों की कहानी है,
बाक़ायदा तुमको ही सुनानी है।
बैठ के जब कहीं वह रोता है,
बन ही जाती वहाँ फ़ज़ा सुहानी है।
मेरे दरमियान मैं अकेला है,
यह नगर बिन राजा बिन रानी है।
जीवन की फ़सल ख़राब हो गई,
क्या बिगड़ी और क्या बनानी है।
वहाँ की ज़मीन ऊर्जावान हुई,
और सारा जहां ख़ुदा की बानी है।
मैं कहता है मैं की कहानी भी,
अव्यक्त को मेरी तर्जुमानी है।
जन्नत के सभी क़सीदे कसें,
यहाँ रोज़ी रोटी की कहानी है।
मर कर अगर स्वर्ग मिलेगा,
बिना देह के बस मुँह ज़ुबानी है।
तारे भी वसु हैं दोस्त मेरे,
सोच तेरी शख़्सियत दक़ीक़ बयानी है।
वह केवल कपड़े रँगवाता है,
पेट की बात तूने ख़ूब पहचानी है।
बोल कि ख़ामोश है ज़माना चिल्ला रहा,
तेरी चुप्पी यहाँ छुपानी है।
छोड़ दिया भीड़ में रब मेरे,
और वह कहता जग रूहानी है।
फ़ैसले सभी पड़ें हैं बाक़ी अभी,
तुझे शिकायत अभी सुनानी है।
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