राम का अस्तित्व
काव्य साहित्य | कविता हेमन्त कुमार शर्मा1 Mar 2024 (अंक: 248, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
राम का अभिषेक है,
सबके भीतर एक है।
सदियों की व्यथा,
अन्तिम में कथा।
कहने को अनेक हैं।
सागर ही था बूँद में,
पुकारता,
भूखे की भूख में।
राम का जीवन,
सत्य का आलेख है।
सपने का यथार्थ होना,
राम का अस्तित्व ही,
अपना होना।
सुहृदयों के इरादे नेक हैं।
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