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नाम याद आता है पीड़ा के क्षण में

 

कई दिन से तुमसे राफ़्ता नहीं था, 
यों कहें नए ग़म से वास्ता नहीं था। 
 
नाम याद आता है पीड़ा के क्षण में, 
दिखता अदृश्य जब रास्ता नहीं था। 
 
बेक़रारी दिल से जाती नहीं अब तो, 
बेफ़िक्र था उस वक़्त जानता नहीं था। 
 
मेरे मरने पर कुछ लोग तो दुखी होंगे, 
यह बात बिल्कुल भी मानता नहीं था। 
 
कुछ रो कर मना लेते जाने वाले को, 
ऐसी बनावट से मन वाबस्ता नहीं था। 

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