सितम कितने बयाँ
काव्य साहित्य | कविता हेमन्त कुमार शर्मा1 Dec 2023 (अंक: 242, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
साफ़ झलकता है सूरत से,
थक गया वो भी ज़रूरत से।
सितम कितने बयाँ आँखों से,
लब पर हँसी थी ज़रूरत से।
पंछी का बसेरा सूखी शाख़ पर,
जाड़ा धूप अधिक ज़रूरत से।
सामने बकता नहीं ये सोच कर
ज़्यादा देता नहीं वह ज़रूरत से।
सब कहते हैं समाई कर कुछ तो,
हवा में उड़ते नहीं ज़रूरत से।
दे रहा है सदा कब से मन भी,
उठ तो कभी ऊपर ज़रूरत से।
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