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साहित्य के चित्रगुप्त

 

बैठ गए हैं वे लेकर खाता-बही
गिरोह के किन किन सदस्यों की आई हैं किताबें इस वर्ष
गिरोह के बाहर के किन लेखकों को कर लिया जाए शामिल
कुनबा बढ़े लेकिन न हो कोई नुक़्सान
 
शत्रु-पक्ष को दी जा सके कड़ी शिकस्त
स्वाभिमानियों को किया जाए दरकिनार
अधिकतर रहें दिल्‍ली के और आसपास के
कुछ बिहारी, पिछले दिनों बढ़ी है 
जिनकी तादाद तेज़ी से दिल्‍ली में
कुछ लखनवी जिनका समूह है सशक्त
हैं एक जनसंगठन के लोग सक्रिय
कुछ भोपाल से
एक-दो राजस्थान से
बाक़ी चार-छह-दस बाक़ी प्रदेशों से
 
किनकी कविता पुस्तकें की जाएँ चिह्नित
कौन हों कहानीकार
किन्हें करें शामिल कथेतर विधाओं में
कौन होंगे आलोचक
नाम तय हो चुके हैं सबके
उनकी किताबों के बारे में ली जा रही है जानकारी
कुछ बड़े प्रकाशकों के भी आग्रह हैं
कुछ शासन-प्रशासन से जुड़े मित्रों का दबाव
 
दिल्ली विवि के प्राध्यापक तो होंगे ही, जनेवि के भी कुछ
बीएचयू और इलाहबाद विवि से भी होंगे
और कुछ इतर भी
 
जाति के हिसाब से भी सोचा गया है
ब्राह्मण होंगे सर्वाधिक फिर भूमिहार, कायस्थ
कुछ दलित, आदिवासी शामिल करने होंगे
दो एक ठाकुर और यादव भी रहें तो अच्छा हो
महिलाओं का चमकदार प्रतिनिधित्व हो
मुसलमान, ईसाई, सिख भी हों एक-आध शामिल
 
इस तरह बन गई है पूरी रूपरेखा
चित्रगुप्त की डायरी हो गई तैयार
लिखे जा रहे हैं लेख
भेजे जा रहे हैं स्पांसर करने वाली पत्रिकाओं को
प्रतीक्षा है दिसंबर के अंतिम सप्ताह की
दाग दी जायेगी तोप—
‘गत वर्ष की चर्चित पुस्तकें’

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