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हम जनसेवक हूँ

 

मेरे देश के लोगों और लुगाइयों यानी माताओं-पिताओं, भाइयो-भौजाइयो, बहनो-बहनोइयो आदि-आदि–हम आप सब लोगन का बहुत-बहुत आभारी हूँ। आप सब लोगन को यह जानकर बहुत खुशी होगी कि हम चुनाव में हो रहा हूँ। किस्सा यूँ रहा कि पहले हम सड़क पर पनवाड़ी चूनामल चौरसिया की “थड़ी” (पटरी पर रखी छोटी बक्सेनुमा दुकान) के सामने खड़ा होता था। फिर जब चूनामल ने उधार में पान खिलाना बन्द कर दिया और रोज पैसों के लिए झिक-झिक करने लगा तो हमें कोई उपाय नहीं सूझा और हम अपने शहर के जाने-माने नेता लूटाराम के यहाँ जाकर खड़ा हो गया। लूटाराम ने पूछा, “भाया तू यहाँ क्यूँ खड़ा है?” 

तो हमें झटपट कोई उत्तर नहीं सूझा, हम बोल पड़ा, “बस खड़े होने को थोड़ी जगह चाहिए थी सो यहाँ खड़ा हो गया।” 

लूटाराम बोला, “भाया खड़ा ही होना है तो रेलवे स्टेशन पर टिकिट खिड़की के सामने खड़ा होओ, राशन की दुकान पर खड़ा होओ, कोई भी छोटा-मोटा काम किसी सरकारी दफ्तर में निकल रहा होवे तो वहाँ दिनभर खड़ा रहो।” 

“लेकिन हमें तो वहाँ ऐसा कोई काम नहीं है, पहले से ही हम सालों वहाँ खड़ा रह-रह कर जब कभी कोई काम नहीं करवा सका तो अब काम की बात सोचूँ भी कैसे? अब सोचना ही बन्द कर दिया है।” 

लूटाराम बोला, “बहुत बढ़िया! फिर तू इलेक्शन में खड़ा हो जा।” 
“इलेक्शन में! लेकिन हम इलेक्शन में कैसे खड़ा हो सकता हूँ, हमरे पास तो पनवाड़ी का उधार चुकाने लायक भी पैसे नहीं हैं।” 

“तभी तो, तभी तो,” लूटाराम चहका पूछा “तेरी क्वालीफिकेशन क्या है? क्वालीफिकेशन यानी पढ़ाई-लिखाई।” 

“तो जी मैट्रिक पास हूँ तीन साल में थर्ड डिवीजन से, इन्टर तो चार साल में भी नहीं कर पाया।” 

“फिट, एकदम फिट, आगे बोल।” 

“आगे क्या बोलूँ, और तो हम पढ़ ही नहीं सका।” 

“अरे पढ़ाई को मार गोली, और क्या-क्या एक्सपीरियंस है?” 

“एक्सपीरियंस! कुछ खास नहीं, एक ठेकेदार के यहाँ काम किया था, एक दिन मजदूरों की मजदूरी से थोड़ी सीपीलीसो निकाल दिया गया। बजाज के यहाँ नौकरी की, एक पैंट पीस और एक शर्ट पीस पसन्द आ गई, अपने लिए सिलवा ली, उसने भी निकाल दिया। और दो एक जगह छुट-पुट काम-आम किया, लड़ाई-झगड़ा हुआ, निकाला गया।” 

“वैरी गुड, वैरी गुड, लड़ाई-झगड़ा में कभी जेल-वेल गया?” 

“हाँ दो बार गया, एक-एक महीने के लिए। एक बार महल्ले का पंसारी उधार के पैसे माँगने घर आ गया और भला बुरा कहने लगा, बात बरदाश्त के बाहर हो गई तो उसके सर पर डंडा मार दिया! उसका स्साले का सर ही खुल गया। दूसरे केस में सरकारी डॉक्टर ने बिना पैसे लिए अम्मा को घर पर देखने से मना कर दिया तो उसका हाथ तोड़ दिया। दोनों केस में पुलिस ने सुलह-समझौता कराने और केस रफा-दफा करने के लिए पैसे माँगे। अब मेरे पास पैसे होते तो क्या था, कुछ ढंग का काम न करता, सो हवालात भेज दिया गया। कोई गवाही देने को ही तैयार नहीं हुआ मेरे खिलाफ, पनवाड़ी चूनामल ने मेरी जमानत कराई दोनों दफे, अब केस खारिज हो गए हैं।” 

“बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया!” लूटाराम ने पूछा, “भाया तू ये सब सच बोल रहा है न?” 

“जी झूठ बोलने से फायदा ही क्या है? फिर आजकल तो ऐसी बहादुरी वाली चीजें प्रेस्टिज बढ़ाती हैं।” 

लूटाराम उठा उसने मुझे गले लगा लिया, बोला, “तुम तो बहुत काम के आदमी हो। अब इतनी देर खड़े भी मत रहो कि पैर ही दुखने लगें। आओ बैठो, पान-वान खाओ, फिर चुनाव की रणनीति तय करते हैं।” 

“चुनाव की रणनीति!” 

“हाँ, क्या तुम्हें पता नहीं कि लोकसभा चुनाव होने वाले हैं?” 

“वो तो पता है, क्या हमें आप के लिए प्रचार करना होगा?” मैंने पूछा। 

लूटाराम बोला “नहीं, मेरे प्रचार के लिए तो बहुत से कार्यकर्ता हैं। मैंने एक नई क्षेत्रीय पार्टी बनाई है ‘लूटाराम धंधा पार्टी’ यानि ‘एल.डी.पी.’, राजनीति से अच्छा धंधा इस देश में कोई दूसरा है ही नहीं। समझ गए न! हमारा चुनाव चिह्न है ‘चाकू’, जिसके खौफ से सब भोटर डरेंगे। वैसे हमने माँगा तो था पिस्तौल पर चुनाव आयोग ने दिया ही नहीं। तुम सदर क्षेत्र से एलडी पार्टी के उम्मीदवार होओगे।” 

हम तो बड़ा खुश हुआ जी यह सुनकर। कहाँ तो पनवाड़ी ने भी अपनी दुकान के आगे खड़े होने से मना कर दिया था, कहाँ मान्यवर लूटाराम जी ने हमें अपनी पार्टी से चुनाव का टिकिट दे दिया। तो भाईयो-बहनो अब मैं चुनाव में खड़ा हो गया हूँ। 

लगे हाथ आपको बता दूँ कि हमारी पार्टी में पूरा लोकतंत्र है। मान्यवर लूटाराम जी इस पार्टी के एकमात्र आजीवन अध्यक्ष हैं। सभी उम्मीदवारों की उनमें घनघोर आस्था है। उनके पास दस हजार लूट सैनिक हैं। हमारा मात्र एक उद्देश्य है “लूटो और मस्त रहो।” जैसे अँग्रेजों का था ‘बाँटो और राज करो’ बाद में काले अँग्रेजों ने भी यही तो किया। यही हमारा एजेन्डा, यही हमारा घोषणा पत्र है। हम झूठे वायदे नहीं करते, हम झूठे नारे, घोषणाएँ और सपने नहीं दिखाते। हम जो कहते हैं, वही करते हैं। न हम देश की भलाई की बात करते हैं, न जनता की। हम मात्र अपनी भलाई की बात करते हैं। जबकि जो लोग देश की भलाई की बात करते हैं, वे झूठ बोलते हैं, वे करते हैं वही हैं जो हम कह रहे हैं। हम स्थिरता की बात नहीं करते क्योंकि हमें पता है कि जो स्थिरता की बात करते हैं वे स्थिरता की आड़ में ज़्यादा दिनों तक जनता को लूटना चाहते हैं। हम राष्ट्रवाद, राम मंदिर, की बात नहीं करते क्योंकि किसी झूठ और ढोंग में हमारी कोई आस्था नहीं है जिसकी आड़ में सब कुछ अपवित्र हो। ये बस सत्ता प्राप्ति में विश्वास रखते हैं। 

धार्मिक भावनाओं को भड़का कर वोट लेने से होता है। इन लोगों का असल धर्म यही होता है। हम धर्मनिरपेक्षता की भी बात नहीं करते क्योंकि हम जानते हैं धर्मनिरपेक्षता का मतलब, ढुलमुल होना है। जब जहाँ लाभ दिखे वहाँ चले जाओ। उसे सर्वधर्म समभाव बताओ। 

हम अपराध मिटाने की बात नहीं करते क्योंकि जो अपराध मिटाने की बातें करते हैं वे ही अपराधियों को धड़ल्ले से टिकिट देते हैं। उनकी कमाई अपराधियों से ही होती है। हम भ्रष्टाचार मिटाने की भी बात नहीं करते, इससे अच्छा तो दुनिया में कोई कर्म ही नहीं। जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं वे ही ऐसी बातें करते हैं। इसलिए हे जनता-जनार्दन सुनो! मेरी कर-खुली प्रार्थना है कि जो लोग कदम-कदम पर झूठ बोलते हैं, छल करते हैं, काले को सफ़ेद और सफ़ेद को काला कहते हैं, यदि उन्हें आप लोग वोट दे सकते हैं तो हम जो सच बोलते हैं, सफ़ेद को सफ़ेद और काले को काला कहते हैं, उन्हें आप वोट क्यों नहीं देंगे? 

तो अब यदि आप हमें जितायेंगे तो हम जी जान से देशसेवा करेंगे आख़िर हम सच्चे देश प्रेमी जो हैं। जनता की सेवा तो अपने आप हो जाती है। हम छोटी पार्टी हैं। जीतने वाली पार्टी से गठबंधन करने के बाद हम पक्का मंत्री बनूँगा और आप लोगन का पूरा बंटाधार करूँगा। प्रेम से बोलो-जय जनता, जय नेता। 

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