अवसान
काव्य साहित्य | कविता शैलेन्द्र चौहान15 Oct 2022 (अंक: 215, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
हमें हत्यारों से कोई परेशानी नहीं
न ही तस्करों और हवाला कारोबारियों से
चोर लुटेरे तो क़िस्मत के मारे हैं
सहानुभूति के पात्र
जटाधारी पूज्य हैं और
बलात्कारी क्षम्य
गौरवपूर्ण इतिहास के नायक
सत्ता के दावेदार
पुलिस और सुरक्षा बल तैनात उनकी सुरक्षा में
अधिकारी विनत अपराधी सजग
संसद, विधानसभाएँ, पंचायतें हैं धन्य
जयजयकार से गुंजायमान् विस्तृत मैदान
भीड़ भीड़ भीड़
ओ लोकतंत्र तुम्हारी कपालक्रिया के लिए
उपस्थित हैं पंडे
और कौए मृत्युभोज के लिए
तैयारी है पूरी
बस इंतज़ार है तुम्हारी साँसें थमने का।
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