जन्म : उत्तर प्रदेश के जिले जालौन में 8 फरवरी 1954 ई. में हुआ।
शिक्षा : प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विदिशा जिले के ग्रामीण भाग में प्राप्त करने के पश्चात बी.ई. (इलेक्ट्रिकल) विदिशा से की।
लेखन : लेखन विद्यार्थी काल से ही आरम्भ कर दिया था। पहले कविताओं और कहानियों की रचना की और फिर बाद में आलोचना में भी हाथ आजमाए। वैज्ञानिक, शैक्षिक, सामाजिक एवं राजनैतिक लेखन भी किया। सभी स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं।
प्रकाशन :
निम्नलिखित पुस्तकें भी शैलेन्द्र चैहान ने लिखीं:-
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कविता संग्रह: ’नौ रुपये बीस पैसे के लिए’ 1983 में प्रकाशित,
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’श्वेतपत्र’ दो दशकों के अंतराल के बाद 2002 में,
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’और कितने प्रकाश वर्ष’ 2003 में,
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’ईश्वर की चौखट पर’ 2004 में।
कहानी संग्रह:
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’नहीं यह कोई कहानी नहीं’ 1996 में प्रकाशित,
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संस्मरणात्मक उपन्यास पांव जमीन पर 2010 में
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आलोचना पुस्तक 'आलोचना का अतिक्रमण' 2018 में प्रकाशित।
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’सदी के आखरी दौर में’ कविता संग्रह के बारह कवियों में से एक
संपादन : संपादन: ’धरती’ अनियतकालिक साहित्यिक पत्रिका, जिसके त्रिलोचन अंक, गजल अंक, समकालीन कविता अंक, शील अंक, शलभ श्रीराम सिंह अंक चर्चित रहे, श्री रामवृक्ष बेनीपुरी पर ’सामान्य जन संदेश’ का बहुचर्चित विशेषांक एवं क्रमशः पत्रिका के राम कुमार कृषक एवं संजय कुमार गुप्ता पर विशेष अंक संपादित, सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी कुंदनलाल गुप्त, एवं अमर शहीद महावीर सिंह की संक्षिप्त परिचयात्मक जीवनियाँ।
अन्य : ’अभिव्यक्ति’, 'आपका तिस्ता हिमालय' और ’क्रमश:’ पत्रिकाओं में संपादन सहयोग। सामाजिक, सांस्कृतिक गतिविधियों में लगातार सक्रियता।
विशेष : जीवन भर भटकते रहे। नौकरी के सिलसिले में विदिशा (म.प्र.) से नांदेड़ (महाराष्ट्र), इहाहबाद, कानपुर, मैनपुरी, मुरादाबाद (उप्र) , कोटा, जयपुर (राजस्थान), गाजियाबाद, फरीदाबाद, नागपुर, भद्रावती, धार, बड़ोदा, बारां, जम्मू और दिल्ली में रहे।
संप्रति : जयपुर में निवास।
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लेखक की कृतियाँ
कविता
- मारे गए हैं वे
- अतीत
- अदेह
- अवसान
- अहा!
- आगे वक़्त की कौन राह?
- इतिहास में झाँकने पर
- इतिहास में झाँकने पर
- उदासीनता
- उपसंहार
- उलाहना
- कवि-कारख़ाना
- कश्मकश
- कामना
- कृषि का गणित
- कोई दिवस
- क्रिकेट का क्रेज़
- क्षत-विक्षत
- गर्वोन्मत्त
- गीत बहुत बन जाएँगे
- चिंगारी
- छवि खो गई जो
- डुबोया मुझको होने ने मैं न होता तो क्या होता!
- तड़ित रश्मियाँ
- दलित प्रेम
- धूप रात माटी
- परिवर्तन
- बड़ी बात
- बदल गये हम
- बर्फ़
- ब्रह्म ज्ञान
- मारण मोहन उच्चाटन
- मुक्ति का रास्ता
- मृत्यु
- यह है कितने प्रकाश वर्षों की दूरी
- ये कैसा वसंत है कविवर
- रीढ़हीन
- लोकतंत्र
- वह प्रगतिशील कवि
- विकास अभी रुका तो नहीं है
- विडंबना
- विरासत
- विवश पशु
- विवशता
- शिशिर की एक सुबह
- संचार अवरोध
- समय
- समय-सांप्रदायिक
- साहित्य के चित्रगुप्त
- सूत न कपास
- स्थापित लोग
- स्थापित लोग
- स्वप्निल द्वीप
- हिंदी दिवस
- फ़िल वक़्त
साहित्यिक आलेख
- प्रेमचंद साहित्य में मध्यवर्गीयता की पहचान
- आभाओं के उस विदा-काल में
- एम. एफ. हुसैन
- ऑस्कर वाइल्ड
- कैनेडा का साहित्य
- क्या लघुपत्रिकाओं ने अब अपना चरित्र बदल लिया है?
- तलछट से निकले हुए एक महान कथाकार
- भारतीय संस्कृति की गहरी समझ
- ये बच्चा कैसा बच्चा है!
- संवेदना ही कविता का मूल तत्त्व है
- सामाजिक यथार्थ के अनूठे व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई
- साहित्य का नोबेल पुरस्कार - २०१४
- हिंदी की आलोचना परंपरा
सामाजिक आलेख
पुस्तक चर्चा
पुस्तक समीक्षा
ऐतिहासिक
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
आप-बीती
यात्रा-संस्मरण
स्मृति लेख
- एक यात्रा हरिपाल त्यागी के साथ
- यायावर मैं – 001: घुमक्कड़ी
- यायावर मैं – 002: दुस्साहस
- यायावर मैं–003: भ्रमण-प्रशिक्षण
- यायावर मैं–004: एक इलाहबाद मेरे भीतर
- यायावर मैं–005: धड़कन
- यायावर मैं–006: सृजन संवाद
- यायावर मैं–007: स्थानांतरण
- यायावर मैं–008: ‘धरती’ पत्रिका का ‘शील’ विशेषांक
- यायावर मैं–009: कुछ यूँ भी
- यायावर मैं–010: मराठवाड़ा की महक
- यायावर मैं–011: ठहरा हुआ शहर
कहानी
काम की बात
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं