तलाश
काव्य साहित्य | कविता रोहित कुमार राम15 Jan 2022 (अंक: 197, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
कविताओं से शुरू हुई थी तुम
कविता संग्रहालय सी लगने लगी हो॥
तुम मेरी ही शायरी में
मुझ से ज़्यादा प्रकाशित हो॥
काव्य का रसास्वादन भी तुम से है
प्रेम की सारी पराकाष्ठाएँ भी तुम से हैं॥
नहीं मिलतीं तुम ग़ज़ल, काव्य, तुकबंदी में
खोज लेता हूँ तुमको मैं अपने काग़ज़ों में
नहीं हो तुम हिस्सा दोहा सोरठा चौपाई का
तुम हिस्सा हो स्वच्छंद लहर वाक्यों का॥
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