मेरा ख़्याल तो करते होंगे ना
काव्य साहित्य | कविता भव्य भसीन15 Nov 2023 (अंक: 241, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
वहाँ किसी से मेरी बात करते होंगे ना
मेरा ख़्याल तो करते होंगे ना
जैसे मैं याद करती हूँ उन्हें
वो मुझे कभी याद तो करते होंगे ना
उन्हें मेरी ज़रूरत तो नहीं
मैं उनके किसी काम की तो नहीं
मेरे पुकारने से कभी तो
एक नज़र भर मुझे देखते तो होंगे ना
मेरा ख़्याल तो करते होंगे ना . . .
उन्हें पता तो होगा यहाँ जी कैसे रही हूँ
ख़ाली हृदय को सँभाल कैसे रही हूँ
उनको जो इतने पयाम लिखती हूँ
वो कभी एक तो पढ़ते होंगे ना
मेरा ख़्याल तो करते होंगे ना . . .
क्या पता मैं कल कहाँ रहूँगी
किस देस किस हाल में रहूँगी
जो दूरियों में थोड़ा सा प्यार उन्हें दे पायी हूँ
इसे सँजो के वे कहीं तो रखते होंगे ना
मेरा ख़्याल तो करते होंगे ना . . .
कहते हैं दिल से दिल की तार जुड़ी होती है
बिना कहे भी हर बात होती है
जो इस हृदय को तुमसे आशा है
उस आशा को जीवित तो तुम रखोगे ना . . .
कहो तुम रखोगे ना . . .
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