कोई मुझे प्रेम सिखा दे
काव्य साहित्य | कविता भव्य भसीन1 Dec 2023 (अंक: 242, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
कोई मुझे प्रेम सिखा दे।
मैं इसकी रीत नहीं जानती
मैं इसका त्याग नहीं जानती
मैं उनसे कहने को ठीक बात नहीं जानती।
बस हाथ जोड़ विनती करती हूँ
कोई मुझे प्रेम सिखा दे।
कोई मुझे विधि निषेध बता दे
उनको भा जाने वाली बात बता दे
बिन दरस मैं तरस रही हूँ
कोई मुझे उनका दर दिखा दे
कोई मुझे प्रेम सिखा दे।
उनको न कुछ अर्पण करती हूँ
संध्या सवेर न वंदन करती हूँ
जप साधन न नियम कोई
कहाँ अभागन पर दया हो
वो स्थान बता दे
कोई मुझे प्रेम सिखा दे।
उन बिन अब रहा नहीं जाता
रात कटती नहीं दिन दूभर हुआ जाता
हिय सों हिय मिल जाए
ऐसा कोई साधन बता दे
हाए कोई मुझे प्रेम सिखा दे।
दया कर कोई मुझे प्रेम सिखा दे।
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