मैं और तुम
काव्य साहित्य | कविता भव्य भसीन15 Dec 2023 (अंक: 243, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
मैं पुष्प माल तव हृदय विराजूँ
मैं पीत दाम श्यामल पर नाचूँ।
मैं मोर पंख शीश पर धारण।
मैं राधा नाम तुम करो उच्चारण।
मैं वंशी काठ तुम स्वर भरते हो।
मैं ब्रज की नार तुम स्नेह करते हो।
मैं रज तुम्हारे चरण की दासी।
मैं शरद रात्रि तुम चंद्र उद्भासी।
मैं चंदन पुनीत मस्तक धरते हो।
मैं मधु माखन तुम मुख भरते हो।
मैं प्रेम दान तुम देनहारा।
मैं शंभू नाथ नित प्रेम तुम्हारा।
मैं अंजन नयन शृंगार पूरक।
मैं वर्षा तुम मदमत्त मयूरक।
मैं धूप दीप नंदलाल अंचित।
मैं राग नव तुम प्रेम रंजित।
मैं राग नव तुम प्रेम रंजित।
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