सौभाग्य
काव्य साहित्य | कविता रीता मिश्रा तिवारी15 Dec 2021 (अंक: 195, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
जगत में वो सौभाग्यशाली है,
संसार में जो क़िस्मत का धनी है।
जिनके घर दुःख आता नहीं है,
सुख कभी घर छोड़ता नहीं है।
लक्ष्मी सदा उस घर वास करती है,
जिस घर औरत सम्मानित होती है,
जहाँ सदा ख़ुशहाली रहती है।
बदलता भाग्य उसका है,
कर्मशीलता उसका सौभाग्य है।
सतरंगी इंद्रधनुषी किरणें,
सज गयीं देखो नील गगन में।
सूर्य किरण का सुनहरा प्रतिबिंब,
चमक गया चंचल नदिया की धारा में।
चंद्र देव की अगुआई में,
सज गया आसमां सितारों से।
शीत ऋतु की शीतल ज्योति,
झरे नभ से झर झर ओस के मोती।
सुंदर हरित धरा जब मुस्काई।
तब जाकर सौभाग्यशाली कहलाई।
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