सवाल
काव्य साहित्य | कविता गौरव पीलू10 Jul 2014
एक अनजान सा,
सवाल है,
मन में!
कि सवाल क्या है?
सवाल उठता है,
बार-बार!
कि सवाल क्या है?
जब दर्पण में,
निहारता है,
दिखने लगता है,
उल्टा
फिर पूछता है,
कोई!
कि सवाल क्या है?
कहीं तू वही तो नहीं,
तुझे जानता हूँ,
कई दिनों, कई महिनों,
कई सालों
या कई जन्मों से!
कि सवाल क्या है?
एक मासूम लड़की,
मौन है,
जैसे,
अनगिनत सवाल हों!
कि सवाल क्या है?
बार-बार ज़ेहन में
आता है,
फिर चला जाता है ,
आते वक़्त याद,
नही आता,
जाते वक़्त भूल जाता हूँ,
नब्बे वर्ष की बुज़ुर्ग,
कि तरह!
कि सवाल क्या है?
उलझन है,
बहुत से सवालों में,
कि हर पूछता है!
कि सवाल क्या है?
भूल के पूछने,
लगता हूँ
मैं भी! कि सवाल क्या है?
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Pawan 2025/06/07 07:52 AM
Bahut acha likhe ho bhai