रामराज्य लाते हैं
काव्य साहित्य | कविता सोनल मंजू श्री ओमर1 Feb 2024 (अंक: 246, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
आओ सनातनियों हम सब मिल-जुल कर,
एक बार फिर से भारत में रामराज्य लाते हैं।
ऊँच–नीच, अमीरी–गरीबी, जात–पाँत का,
भेद मिटाकर चलो सबको गले लगाते हैं।
नफ़रत और द्वेष को मन से दूर भगाकर
आपसी अनुराग का गीत गुनगुनाते हैं।
अपनी जिह्वा और वाणी में मिठास घोल,
श्री राम के अवध लौटने का उत्सव मनाते हैं।
हर घर, हर आँगन हो ख़ुशियों में डूबा,
पुष्प और दीपों से अवध को ऐसे सजाते हैं।
करके मानवता की सेवा सारी दुनिया में,
अपने आराध्य राम-नाम का ध्वज फहराते हैं।
कितनी भी विकट हो स्थिति, या बिगड़े काम,
उनके स्मरण से अटके हर काम बन जाते हैं।
पूरे ब्रह्मांड में हम सब भारतवासी मिलके,
‘जय श्री राम’ के जयकारों की गूँज फैलाते हैं।
पाठ्यक्रम में छोड़कर अकबर-बाबर को,
बच्चों को रामायण-गीता के पाठ पढ़ाते हैं।
आओ सनातनियों हम सब मिल-जुल कर,
एक-बार फिर से भारत में रामराज्य लाते हैं।
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