सेहत का ख़ज़ाना—‘योग’
काव्य साहित्य | कविता सोनल मंजू श्री ओमर15 May 2024 (अंक: 253, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
ध्यान करो, कुछ योग करो।
काया को तुम निरोग करो।
प्रतिदिन प्रातः में उठकर
योगासन सब लोग करो॥
योग न सिर्फ़ एक व्यायाम है।
विविध आसन प्राणायाम है।
यह तो तन, मन, आत्मा को
जोड़ने वाला एक आयाम है॥
यह भारत की पहचान है।
योग विशुद्ध विज्ञान है।
सदियों की प्राचीन परंपरा,
ऋषियों का अनुसंधान है॥
ये अन्य देशों ने भी माना है।
कि योग सेहत का ख़ज़ाना है।
विश्व योग दिवस पर यह बात,
आज जन-जन तक पहुँचाना है॥
जीवन में योग को अपनाओ।
शरीर स्वस्थ, सुखमय बनाओ।
इसकी अहमियत समझाकर
औरों को, अपना फ़र्ज़ निभाओ॥
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