स्त्री
काव्य साहित्य | कविता डॉ. प्रियंका कुमारी15 Jun 2019
देख तमाशा स्त्री का
वेदों में देख पुराणों में देख
उपनिषद में देख संहिता में देख
गली में देख सड़क पर देख
घर में देख बाज़ार में देख
देख तमाशा स्त्री का
बच्चा जनने की मशीन है यह
पुरुष लुभाने का साधन है यह
मन बहलाने की चीज़ है यह
डार्क फैंटेसी रचने की तरक़ीब है यह
देख तमाशा स्त्री का
देख तमाशा इस समाज का
गुलाम बनाने की संस्था है यह
परंपरा निभाने की ज़ंजीर है यह
ऐ स्त्री! जाग, उठ, तोड़ गुलामी
बस अब तोड़ इन ज़ंजीरों को!
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