अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

किसी दिन

किसी दिन
मेरे जाने के बाद
हाथ में ले तस्वीर मेरी
बैठाना यादों को पास। 
 
याद करना उन लम्हों को
ढलती श्याम और रात के बीच
आँखों से आँखों के इशारे
लबों ने कर ली थी दोस्ती। 
 
उस सुबह तुम थीं आग़ोश में
आसमान में सूरज चाँद बग़ल में
तारों भरी मुस्कराहट झुके नयन
उस सुबह में ख़ुद को भूला था। 
 
खोये रहते प्रेम में एकदूजे के
गर्दिश-ए-दुनियादारी निभाते
रंज का तीर तुम दिल लगा
बैठे रहे रूठे ताउम्र गुज़री। 
 
काँच के उस रिश्ते में प्रेम था
जैसे साथ गुलाब का, काँटे शक के
ज़ख़्मी होता था दिल मेरा बहुत
रूह से करता शिकवे-शिकायत। 
 
प्यार मनुहार से साझा किया दर्द
तुम्हें लगता रहा प्यार प्यार नहीं
दो किनारे हैं हमतुम जुदा-जुदा
बीच ख़ामोशी की नदी उफान पर। 
 
सुना था शक की चिड़िया
दाना चुगे विश्वास का
गीत गाए नाराज़गी के
प्रेम में एहसास बिछोह का। 
 
तुम्हें पाकर भी खो दिया
तुम मुझे पाती भी तो ऐसे
जैसे बादल बिन पानी, उड़ता
सोचता आसमान की हद। 
 
किसी दिन
मेरे जाने के बाद
हाथ में ले तस्वीर मेरी
यादों को भुलाने की कोशिश करना . . .

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

कहानी

पुस्तक समीक्षा

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं