ज़िन्दगी के चार पाए
काव्य साहित्य | कविता रेखा भाटिया15 Dec 2022 (अंक: 219, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
स्वास्थ, सद्बुद्धि, हिम्मत, मेहनत
चार पाए हैं ऐसी खटिया के
जिन पर टिककर
आराम से कटती है ज़िन्दगी।
एक टूट जाए तो सही
बाक़ी तीनों का संतुलन भी
बिगड़ जाये अचानक से
मुश्किल में पड़ जाए ज़िन्दगी।
एक छोटा, एक बड़ा हो
तब और भी गड़बड़
ना टिके ना सँभले
बिगड़ जाए संतुलित ज़िन्दगी।
क़िस्मत के भरोसे छोड़ दो
वक़्त से सड़ने-गलने लगेंगे
रख-रखाव ख़्याल रख लोगे
ताउम्र टिकाऊ मज़बूत रहे ज़िन्दगी . . .
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