नया रिश्ता
काव्य साहित्य | कविता दीपक पाटीदार17 Dec 2015
जो हवा ने पानी को छूआ
फिर पानी ने हवा को छूआ
दोनों के बीच एक नया रिश्ता बना
(अभी नाम देना बाक़ी है!)
वाष्प बनकर पानी
हवा के साथ चल दिया।
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