हार नहीं है ये जीवन
काव्य साहित्य | कविता शशि कांत श्रीवास्तव1 Dec 2022 (अंक: 218, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
बड़ी तपस्या से मिलता है ये जीवन
अनमोल बड़ा है ये मानव जीवन,
जग में रह कर कुछ काम करो तुम,
इसको व्यर्थ ना जाने दो यूँ ही तुम,
क्योंकि . . .
हार नहीं है ये जीवन . . .
हे, मानव तू बढ़ता चल
बिना रुके और बिना डिगे
अपने कर्म के पथ पर सदा,
फल की आशा कभी ना करना
अपने कर्म पर अडिग रहना,
क्योंकि,
हार नहीं है ये जीवन . . .
निराशा मन में कभी न आने देना
आशा का दीप जलाये रखना,
कर्तव्य पथ का अँधेरा छँट जाएगा,
सफलता क़दम तुम्हारे चूमेगी
और, जीवन सफल तुम्हारा हो जायेगा,
जग में कुछ नाम तुम्हारा हो जायेगा,
क्योंकि ये . . .
हार नहीं है ये जीवन . . .!
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