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इष्ट का सहारा

 

तुम्हारे भोग जितने कम होंगे 
दुःख, कष्ट व परेशानियाँ उतनी ही कम होंगी।
अपने धर्म के रास्ते पर चलकर ही सफलता मिलती है 
किसान, छात्र, व्यापारी, नौकरीपेशा अन्य
सब अपना धर्म निभाते हैं 
तब ही फल व उपहार पाते हैं।
धर्म छोड़कर विकास दिखाई तो देगा 
परंतु वो विकास कब विनाश में 
परिवर्तित हो जायेगा पता ही नहीं चलेगा। 
कर्म व फल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं 
एक दिन दोनों ही सामने आते हैं 
अच्छे कर्म—अच्छा फल 
आज नहीं तो निश्चित कल 
परंतु मिलता अवश्य है ।
इसीलिए जीवन लक्ष्य बनाये रखिये 
और नेक कर्म करते हुए आगे बढ़ते रहिए 
सफलता आस लगाये बैठी है . . .। 
सफलता से पहले तमाम भय आगे आएँगे 
जो कर्मवीर को डरायेंगे
डरना बिल्कुल नहीं 
अपने इष्ट का सहारा लेकर 
तुम मंज़िल पा जाओगे ।

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