सावन में
काव्य साहित्य | कविता मुकेश कुमार ऋषि वर्मा1 May 2023 (अंक: 228, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
काली-काली घटा छा रही अंबर में
घनी अँधेरी रात बिजली कौंध रही सावन में
करवट बदल-बदल तिरिया जल रही यौवन में
मोर, पपीहा चहक-चहक कहीं बहक न जायें सावन में
बाग़ों में झूला पड़ गये, यौवन गाए मस्ती में
चहुँ ओर हरियाली हँसती-खिलखिलाती सावन में
जब अंग-अंग भीगा सिहर गई वो सावन में
लबालब होकर ताल-तलैया झूम उठे सावन में
मेघों की बूँदें चाँदी सी बरस रहीं दिशा-दिशा में
नैन मिले सुनैना से तो हृदह घायल हुआ सावन में
मस्ती भर-भर मस्ती में मेंढक टर्राये सावन में
प्रियवर की याद उर झुलसाये बरसते सावन में
भँवरा पगलाया रंग-बिरंगी कलियों महक में
कर-कर आलिंगन तान छेड़ता प्रेमालाप दिखाता सावन में
क़ुदरत बनी अति मनोहारी सुंदर सावन में
सतरंगी परिधान ओढ़कर गोरी शर्माती सावन में
वो पंख खोल आज़ादी से उड़ना चाहती सावन में
पिया से प्रेमभरी दो बातें करना चाहती सावन में
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अपने तो अपने होते हैं
- आयी ऋतु मनभावन
- आस्तीन के साँप
- इंतज़ार
- इष्ट का सहारा
- ईश्वर दो ऐसा वरदान
- ऐ सनम मेरे
- कवि की कविता
- कृपा तुम्हारी भगवन
- कृषक दुर्दशा
- गाँव की भोर
- गुलाबी ठंड
- चिट्ठियों वाले दिन
- जल
- दर्द
- दीप जलाएँ
- दो जून की रोटी
- धरती की आस
- धोखा
- नव निर्माण
- नव वर्ष
- पछतावा
- पहाड़
- पुरुष
- प्रणाम बारम्बार
- प्रार्थना
- प्रिय
- बसंत आ रहा
- बाबाओं की फ़ौज
- भारत गौरव
- मनुष्य और प्रकृति
- माँ मेरी
- मेरा गाँव
- मेरा भारत
- मेरा हृदय लेता हिलोरे
- मेरी कविता
- मेरी कविता
- यादें (मुकेश कुमार ऋषि वर्मा)
- राखी
- वृक्ष
- शिक्षा
- सच्चा इल्म
- सावन में
- स्मृतियाँ
- हादसा
- हे ईश्वर!
- हे गौरी के लाल
- हे दयावान!
- हे प्रभु!
- हे प्रभु!
- ज़िन्दगी
कविता - हाइकु
किशोर साहित्य कविता
बाल साहित्य कविता
चिन्तन
काम की बात
लघुकथा
यात्रा वृत्तांत
ऐतिहासिक
कविता-मुक्तक
सांस्कृतिक आलेख
पुस्तक चर्चा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं