हम बच्चे मिलकर
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता मुकेश कुमार ऋषि वर्मा15 Jan 2020 (अंक: 148, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
कूड़ा करकट यहाँ-वहाँ मत फैलाओ
कूड़ेदान में ही कूड़ा डाल के आओ
आओ-आओ प्यारे-प्यारे बच्चो आओ
एक साथ मिलकर भारत स्वच्छ बनाओ
स्कूल हो या घर, सड़क हो या मैदान
सर्वत्र चलायें स्वच्छता अभियान
स्वच्छ रहे परिवेश हमारा कर लो ये प्रण
निश्चय ही बलवान बने अपना तन-मन
बापू ने स्वच्छता की अलख जगाई थी
मोदीजी ने पुन: हम सबको याद दिलाई थी
कभी खुले में शौच नहीं करेंगे भाई
शौच के बाद साबुन से करेंगे हाथ धुलाई
गली-मुहल्लों में कीचड़ न बनने देंगे
मच्छर-मक्खी, कीट पतंगे न पलने देंगे
हम बच्चे मिलकर नया भारत बनायेंगे
स्वच्छता अभियान को सफल बनायेंगे
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अपने तो अपने होते हैं
- आयी ऋतु मनभावन
- आस्तीन के साँप
- इंतज़ार
- इष्ट का सहारा
- ईश्वर दो ऐसा वरदान
- ऐ सनम मेरे
- कवि की कविता
- कृपा तुम्हारी भगवन
- कृषक दुर्दशा
- गाँव की भोर
- गुलाबी ठंड
- चिट्ठियों वाले दिन
- जल
- दर्द
- दीप जलाएँ
- दो जून की रोटी
- धरती की आस
- धोखा
- नव निर्माण
- नव वर्ष
- पछतावा
- पहाड़
- पुरुष
- प्रणाम बारम्बार
- प्रार्थना
- प्रिय
- बसंत आ रहा
- बाबाओं की फ़ौज
- भारत गौरव
- मनुष्य और प्रकृति
- माँ मेरी
- मेरा गाँव
- मेरा भारत
- मेरा हृदय लेता हिलोरे
- मेरी कविता
- मेरी कविता
- यादें (मुकेश कुमार ऋषि वर्मा)
- राखी
- वृक्ष
- शिक्षा
- सच्चा इल्म
- सावन में
- स्मृतियाँ
- हादसा
- हे ईश्वर!
- हे गौरी के लाल
- हे दयावान!
- हे प्रभु!
- हे प्रभु!
- ज़िन्दगी
कविता - हाइकु
किशोर साहित्य कविता
बाल साहित्य कविता
चिन्तन
काम की बात
लघुकथा
यात्रा वृत्तांत
ऐतिहासिक
कविता-मुक्तक
सांस्कृतिक आलेख
पुस्तक चर्चा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं