नया उल्लास आया
काव्य साहित्य | कविता मुकेश कुमार ऋषि वर्मा15 Mar 2025 (अंक: 273, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
नया उल्लास आया
मन-मस्तिष्क में उमंग लाया।
खिल गये नये अंकुर
नया-नया मधुमास आया।
भावना में संगीत बज उठा
नयनों में स्नेह का नीर आया।
चल उठी वसंती बयार
कोयलों का कूकना मधुर आया।
तितलियाँ मँडराने लगीं
मौसम फूलों का महकता आया।
थिरक-थिरक नाचते हैं मोर
भ्रमरों को सुरमयी गुनगुनाना आया।
नया उल्लास आया . . .
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