गुलाबी ठंड
काव्य साहित्य | कविता मुकेश कुमार ऋषि वर्मा1 Nov 2023 (अंक: 240, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
बारिश विदा हो गई
बादल साफ़ हो गये
मौसम बदल रहा है
रफ़्ता-रफ़्ता . . .
दबे पाँव आने लगी
गुलाबी ठंड
रातें हुईं धीमे-धीमे सर्द
दिन को कुछ-कुछ
महसूस होती है गर्मी
परन्तु आहिस्ते-आहिस्ते
दिन भी हो जाएँगे ठंडे।
बहरहाल मौसम सुहाना है
न गर्मी, न सर्दी, न बारिश
एक अलग ही आनंददाई मौसम
गुलाबी ठंडक वाला . . .
सब मज़े में हैं
चाय, मूँगफली, गुड़ की मिठाई
वाले मौसम में,
गुलाबी ठंडक वाले मौसम में . . .!
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