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नारी: मेरे चार मुक्तक

1.
नारी परिवार का शृंगार है, 
सृष्टि का आधार है। 
नारी ममता से भरा सागर-
अपमान हो तो अंगार है॥
2.
नारी अबला नहीं होती है, 
वह तो बहुत सबला होती है। 
नारी प्रेम की मूरत-
शौर्य का वरदान होती है॥
3.
नारी का अपमान न करो, 
उसके रौद्र रूप से डरो। 
नारी माँ, बहिन, बेटी, पत्नी-
नारी का हमेशा सम्मान करो॥
4.
धरती को स्वर्ग बनाना है, 
हर घर-आँगन महकाना है। 
नारी हो जाये पूर्ण निडर-
हमें ऐसा समाज बनाना है॥

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