मेरी कविता
काव्य साहित्य | कविता मुकेश कुमार ऋषि वर्मा1 Jul 2023 (अंक: 232, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
मेरी कविता
कोमल-कठोर हो जाती
समय के अनुसार नहीं चलती है।
मेरी कविता
किसी का मन हरषाती
तो किसी के सीने में चुभ जाती है।
मेरी कविता
गाँव की पगडंडी पर मिल जाती
कुछ पागल, कुछ भोली बनकर बतियाती है।
मेरी कविता
मंद-मंद मुस्काती
प्रेम सुधा रस बरसाती है।
मेरी कविता
जन-जन की पीड़ा हरती
शोषण, अत्याचार, भेदभाव से लड़ जाती है।
मेरी कविता
फूल-काँटे बन जाती
जहाँ जिसकी ज़रूरत वैसी ही हो जाती है।
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