नव वर्ष
काव्य साहित्य | कविता मुकेश कुमार ऋषि वर्मा15 Dec 2022 (अंक: 219, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
नव उमंग-नव तरंग
धूप-छाँव संग-संग
पीली सरसों-खिली सरसों
तन चहका-मन हर्षो
बौराए आम, महके बाग़
चुनरी में लगा दाग
आया नूतन साल
कोयल गाए डाल-डाल
हृदय में ख़ुशियाँ अपार
चली प्रेम भरी बयार
लगे भोर बड़ी सुहानी
है ये नई साल की कहानी
रजनी बनी मनमोहिनी
शीतल चाँदनी हुई सुहावनी
घूँघट में वो मुस्कुराए
दर्पण भी शरमाए
होता हृदय में स्पंदन
आओ नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
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