मेरा खेत
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता मुकेश कुमार ऋषि वर्मा15 Nov 2021 (अंक: 193, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
प्यारा-न्यारा मेरा खेत,
हरा भरा सुंदर खेत।
उसमें fसलें लहरातीं,
मेरे मन को बहुत लुभातीं।
पीली सरसों - महके सरसों,
फूले अरहर - झूमे अरहर।
चहुँ ओर है छाई बहार॥
बेहद लंबा हुआ बाजरा,
उग आये मूली-गाजर।
लाल हुआ गोल टमाटर॥
प्यारा-न्यारा मेरा खेत,
हरा भरा सुंदर खेत।
किसी से कम न गोभीआलू,
बहुत रुलाते प्याज़- रतालू।
कलुआ बैंगन बन बैठा राजा,
कद्दू खा पीकर हो गया मोटा।
गन्ना कभी नहीं देता टोटा॥
बहुत महकता धनिया,
भाव खा रही मटर।
सुध-बुध हो गई ज्वार॥
सबको उगाता मेरा खेत।
हरा भरा सुंदर खेत॥
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