चन्दा मामा
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता शकुन्तला बहादुर21 Feb 2019
सुन्दर सा है चन्दा मामा।
सब बच्चों का प्यारा मामा॥
रात को हमसे मिलने आता।
और सुबह अपने घर जाता॥
तारों की बारात जो लाता।
उसको भी है संग ले जाता॥
गोल गोल चमकीला सा है।
घटता बढ़ता ये रहता है॥
नहीं अमावस को ये आता।
पूनम में दुनिया चमकाता॥
अमृत का इसमें भंडार।
हमको तो है इससे प्यार॥
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