हे गौरी के लाल
काव्य साहित्य | कविता मुकेश कुमार ऋषि वर्मा15 Sep 2022 (अंक: 213, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
हे गौरी के लाल
हर लो दुःख विशाल
मैं हूँ बड़ा उदास
आ के मेरे हृदय में करो वास
हे विघ्न विनाशक
दीन दुखियों के पालक
रिद्धि-सिद्धि के दाता
लड्डुओं का भोग है भाता
हे मेरे प्रभु गणेशा
मेरे सिर पर हाथ रखो हमेशा
मुझे हो न कभी अभिमान
देना प्रभु मुझे ज्ञान
हे गौरी के लाल
छिपा नहीं तुमसे मेरा हाल
मैं आजकल हूँ बड़ा उदास
अपनी कृपा का मुझे कराओ अहसास . . .।
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