मजनूँ का दुःख
काव्य साहित्य | कविता धीरज ‘प्रीतो’1 Oct 2024 (अंक: 262, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
लैला की पार्थिव देह हिम से ज़्यादा ठंडी होती जा रही है
कब सुबह होगी, सूरज निकलेगा, पिघलेगी देह
आज रात का वज़न कैसे उठाएगा मजनूँ
इन्हीं सवालों के बीच फुसफुसा रहे मजनूँ के चाहने वाले
परन्तु मजनूँ बंजर हो चुका है
नहीं बची उसमें कोई संवेदना
आँखों का खौलता पानी आँखों में सूख गया
कंधे झुक गए, रक्त से गर्मी निकल गई
बौखलाया हुआ पूरी ताक़त से खींच रहा प्राणशक्ति, परन्तु
हवा में अब नहीं है लैला के साँसों की ख़ुश्बू
बीच बीच में चाट लेता है जिह्वा से अपने सूखे होंठों को
जैसे अभी भी चिपका हो होंठों पर
हफ़्ते भर पहले वाले चुम्बन का स्वाद
ये दुःख है अनंत ब्रह्मांड जितना विशाल और
मजनूँ तिनके मात्र
तो पूछो कोई मजनूँ से, मजनूँ कैसे उठाएगा इस दुःख का भार
परन्तु यहाँ सब मौन है
मजनूँ बैठा है एक कोने में दुखभरी मुठ्ठी बाँधे
इन सभी सवालों से बेपरवाह लैला को ताक़ते हुए
कि लैला अब जागे, अब जागे, अब जागे।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अंत कहाँ पर करूँ
- अंतिम साल
- अकेलापन
- अचानक
- अदृश्य दरवाज़े
- अब तक की जीवनगाथा
- अब मैं चाहता नहीं
- असमंजस
- असल प्रयागराज
- आँखों की भाषा
- आईना
- आग
- आशियाना
- आख़िरी कर्त्तव्य
- इज़हार
- उपनिवेश
- उम्मीद
- उम्मीद एक वादे पर
- एक नई दुनिया
- एक लड़का
- कर्ण
- कविता मुझे कहाँ मिली?
- क्या राष्ट्र सच्चा है?
- क्रांति
- गड़ा मुर्दा
- गर्मी देवता की गर्मी
- गाँव और शहर
- गिद्ध
- गुनाह
- गुलदस्ता
- गुलाब
- घुप्प अँधेरा
- छह फ़ुट की क़ब्र
- जागती वेश्याएँ
- ठुकराया गया प्रेम
- तख़त
- तिलिस्म
- तीन भाइयों का दुखड़ा
- तुम जानते हो?
- तुम हक़दार हो
- तुम्हारी महक
- तुम्हारे संग
- तेरी याद की चिंगारी
- थोड़ा थोड़ा
- थोड़ा सा थक गया हूँ
- दुख का स्वाद
- दुनिया
- दूर, बहुत दूर
- नदी
- नफ़रत के सौदागर
- पत्थर का
- पदार्थ की चौथी अवस्था
- पिता एक किताब
- पिता जी
- पुतली
- पुराने साल का ग़म
- पुल
- पेड़ गाथा
- प्रियजनो
- प्रेम अमर रहे
- प्रेम और ईश्वर
- प्रेम का ढंग
- प्रेम का पुश्तैनी क़र्ज़
- प्रेम का महीना और मेरा दुर्भाग्य
- प्रेम का रंग
- प्रेम का वध
- प्रेम की सागर तुम
- प्रेम में पाषाण हो जाना
- बंद प्रेम पत्र
- बच कर रहना
- बताओ मैं कौन हूँ?
- बदहाली
- बह जाने दो
- बहनो
- बहनो
- बारिश
- बीहड़
- बुद्ध
- बेघर लड़के
- बेबसी
- भाग्यशाली
- भाषा
- मंदिर देखो
- मजनूँ का दुःख
- मत ब्याहना मुझे उस स्त्री से
- मन से मतभेद
- मनःस्थिति
- माँ
- माँगलिक
- मुझे माफ़ कर दो
- मेरा वुजूद
- मेरा सत्य
- मेरी कविताओं में क्या है
- मेरी प्यारी धृष्टता
- मेरी बहन
- मेरे अश्रु
- मैं आवाज़ हूँ
- मैं क्या लिखूँ?
- मैं चाहता तो
- मैं तप करूँगा
- मैं भी इंसान हूँ
- मैं स्त्री हूँ
- मैं हूँ
- मैं ख़ुद की हीनता से जन्मा मृत हूँ
- मज़दूर हूँ
- ये दुनिया एक चैंबर है
- योद्धा
- राम, तुम मत आना
- रोज़गार चाहिए
- लड़ते लड़ते
- विद्रोह
- विद्रोही कविताएँ
- वो लड़की
- शब्द
- शादी का मकड़जाल
- शृंगार
- षड्यंत्र
- सावन
- सुनो प्रिये
- सूरज डूब गया है
- स्कूल बैग
- स्त्रियाँ
- स्त्री तेरे कितने रंग
- स्पर्श
- हाय प्रीतो
- हे कृष्ण
- होली—याद है तुम्हें
- ग़रीबी
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं