दुनिया
काव्य साहित्य | कविता धीरज ‘प्रीतो’1 Jul 2024 (अंक: 256, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
एक दुनिया मेरे शब्दों में है
एक दूसरी दुनिया मेरी क़लम की नोक पर
और एक तीसरी दुनिया मेरी डायरी के पन्नों पर
मेरी ये तीनों दुनियाएँ बग़ैर तुम्हारे बंजर हैं
तुम हो तो शब्द है
तुम हो तो स्याही है
तुम हो तो पन्ने हैं।
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