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क्या राष्ट्र सच्चा है? 

 

ये राष्ट्र ना होता तो भी
ये ज़मीं होती
ये आसमां होता
ये पानी होता
ये हवा होती
ये रोटी, ये कपड़ा, ये मकान होता
ये जंगल, ये खेत खलिहान होते
अर्थात्‌ राष्ट्र ने हमें नहीं बनाया है
हमने राष्ट्र को बनाया है
 
हमें तो पृथ्वी ने बनाया है
राष्ट्र सच्चा नहीं
पृथ्वी सच्ची है
राष्ट्र एक संकुचित सोच है
राष्ट्र सिवाए सीमाओं के कुछ नहीं
राष्ट्र विध्वंसक है
राष्ट्र पतन है
जिसे देखा हमने 
विश्व युद्ध प्रथम, विश्व युद्ध द्वितीय में
भारत पाकिस्तान युद्ध में
और अब देख रहे यूक्रेन और रूस में
आगे भी देखते रहेंगे 
फ़लाँ राष्ट्र और फ़लाँ राष्ट्र में। 

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