योद्धा
काव्य साहित्य | कविता धीरज ‘प्रीतो’15 Nov 2024 (अंक: 265, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
ख़ूब रोए हो तुम आँखें बता रही हैं
प्यार में धोखा खाए या ज़िन्दगी सता रही है
मेरे दोस्त दुख तुम्हारा दीमक बन जाएगा
खाएगा तुमको ख़त्म कर जाएगा
चलो लड़ते हैं दो दो हाथ करते हैं
दुख अमर थोड़ी है जो ख़त्म ना हो पाएगा
माना मुश्किल है, घबराओ मत, मैं साथ हूँ
या तो जीतेंगे हम दोनों या हारेंगे हम दोनों
परिणाम क्या होगा यहाँ किसको पड़ी है
योद्धाओं की वीरगति में कीर्ति बड़ी है।
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