बह जाने दो
काव्य साहित्य | कविता धीरज ‘प्रीतो’15 Nov 2023 (अंक: 241, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
बह जाने दो
उन आँसुओं को जिन्हें वेदनाओं ने घेर रखा है
उन वेदनाओं को जिन्हें दुःख ने पकड़ रखा है
उन दुखों को जिन्हें ग़म ने जकड़ रखा है।
बह जाने दो
उन स्मृतियों को जिन्हें ख़्वाबों में सजों रखा है
उन ख़्वाबों को जिन्हें यादों से लगा रखा है
उन यादों को जिन्हें दिल में बसा रखा है।
बह जाने दो
उस विरह को जिसे इश्क़ ने जनम दिया है
उस इश्क़ को जिसे महबूब ने रुसवा किया है
उस महबूब को जिनसे तुम्हें छोड़ दिया है।
बह जाने दो
उस मैं को जिसने तुझे आँसू दिया है
उस आँसुओं को जिसने मुझे हल्का किया है
उस हल्केपन की जिसने मुझे अब शून्य किया है॥
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