पदार्थ की चौथी अवस्था
काव्य साहित्य | कविता धीरज ‘प्रीतो’1 Feb 2024 (अंक: 246, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
बचपन में पदार्थ की तीन अवस्थाओं को पढ़ा था
ठोस, द्रव और गैस
पदार्थ को चौथी अवस्था प्रेम है, जाना अपनी जवानी में
वैज्ञानिक लोग प्रेम को ही प्लाज्मा कहते है
किन्तु मैं कवि हूँ इसलिए प्रेम कहता हूँ
प्रेम/प्लाज़्मा पृथ्वी सतह पर अत्यंत दुर्लभ मालूम होते है
प्रत्येक मनुष्य के अंदर तीनों अवस्थाएँ (ठोस, द्रव, गैस)
कूट कूट कर विद्यमान है बस लोप है तो चौथी अवस्था (प्रेम) का
मनुष्य के भीतर चौथी अवस्था (प्रेम) का आ जाना ही
बुद्ध हो जाना है, राम हो जाना है।
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