एक चित्र
काव्य साहित्य | कविता पं. विनय कुमार15 Jan 2025 (अंक: 269, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
एक कविता बदल देती है ज़िन्दगी
एक कविता बदल देती है इतिहास
और रीति रिवाज़
और हर पल का
जीवन-संघर्ष
कविता बताती है
अपने बारे में सोचना
आराम से रहना और काम करना
किसी से शिकायत न करना
न रखना ईर्ष्या-द्वेष ही
कविता महसूस करती है
हर दिन की हवा
हर दिन का मौसम
हर दिन का प्रयास
और हमारी-आपकी
परेशानियाँ
कविता बताती भी है
हमें अपने जीवन के बारे में भी
क्योंकि इसी से शुरूआत हुआ करती है
हर दिन की एक मुकम्मल शुरूआत
और कविताओं से ही प्रारंभ होता है
हर एक दिन की आवोहवा
और देखना-महसूस करना
चारों ओर के यथार्थ वातायन को
और उसकी सुन्दरता को भी
और उसमें आता-जाता अंतर और फ़र्क़
सबके सोचने-विचारने का ढंग
हमारे भीतर की अंतहीन भूख-प्यास
देखने, सुनने और महसूस करने का ढंग
साथ ही साथ
पैदल चलने
और बात का ढंग भी।
जब भी हम जीवित (मनुष्यता के रूप में) होते हैं तब
जीवित होने की सबूत देती है कविताएँ
अपमान, दुख-दैन्य के, अभाव की त्रासदी
सबकी ख़बर देती हैं कविताएँ
जब कभी पराधीनता और बेबसी की बू आती होती है
आस-पास
तब उसके सबूत के तौर
हुंकार भरती हैं कविताएँ
और फिर बदल देती हैं ज़िन्दगी हमारी
कुछ भी न करने का मन होता है जब
कुरेद कर कुछ कहती भी हैं
कविताएँ
हर बार हमें बुलाकर
कुछ नया संबोधित करती हैं
कविताएँ
क्योंकि
कविताएँ निर्जीव नहीं होतीं
वह सजीव होती हैं
और पल-पल हमें सजीव बनाती जाती हैं
रची गई कविताएँ।
अपने होने का सबूत पेश करती
कविताएँ
बहुत कुछ हमें कहती भी हैं
सचमुच
हर परिस्थिति में
और संवेदना के क्षणों में
हर मन के भीतर पैदा होती
रहती हैं कविताएँ
जीवन का नफ़ा-नुक़्सान
आगे बढ़ना या पीछे खिसकना
नई राहों पर चलना
और हर बार सपनों के उस पार
कल्पना लोक में विचरण करना और
यथार्थ को झेलते रहना
सब कुछ बताती है वह
कविताओं के साथ ज़िन्दगी जीने के
तजुर्बे सिखलाती हैं
कविताएँ!
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