अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

नए साल में 

नए साल में बदलें हम अपने आपको
पूर्व के दोष-गुण–
सोचें-समझें–
तद्नु‌रूप करें कार्य–
जीवन को नई ऊर्जा से भरें–
नई चेतना जगाएँ–
नए साल में बहुत-कुछ करने का
संकल्प लेना होगा–
यह साल हर बार हमें
बहुत-कुछ सीखने को देगा। 
नए-नए अवसर 
नई-नई परिस्थितियाँ 
जीवन के सुख-दुख
हर्ष-विषाद 
नए मार्गों 
और नूतन लक्ष्यों को 
सफलतापूर्वक पार करते हुए 
हमें जीवन-सत्य के साथ चलना होगा। 
जीवन-सत्य, जो हमारे बेहद क़रीब है। 
हमारी बाँहों में अठखेलियाँ कर रहा है वह
हमारे जीवन का लक्ष्य–
हमारे आसपास फैला संसार–
समस्त जड़-चेतन, 
आबोहवा–
प्रकृति का सुरम्य वातावरण–
रास्ते की थकान, 
घुटन, 
चिंता और
किंकर्तव्यविमूढ़ मनःस्थितियाँ–
सब को झेलते हुए पार करना है। 
 
नए साल में–
जीवन के ख़ूबसूरत सपनों को
निज चिर प्रतिक्षित लक्ष्यों को
हर रोज़ सामने रखकर 
पूरा करने के लिए अनवरत 
साधनारत रहना होगा। 
विगत साल की असफलताजन्य निराशाएँ 
भुलाने के साथ, 
नए साल की ख़ुशियाँ 
हर रोज़–अपने भीतर सजाकर रखना होगा। 
जीवन का सत्य यह है 
कि यदि हमारी इच्छाएँ पूर्ण नहीं होती और
आकांक्षाओं पर पानी फिरने लगता है तब–
हमारे भीतर निराशा, हताशा, दुख-दर्द के
बादल का गहराने लगते हैं 
जीवन को सफलता के साथ
नए ढंग से जीने के लिए
हमें अपने कर्तव्य-कर्म में लगे रहना होगा 
हमारा कर्म, 
हमारा प्रयास, 
हमारी हर दिन की कोशिश, 
हमारे भीतर की जिज्ञासा 
हमारे भीतर का जुनून
लक्ष्य को पा लेने का पागलपन 
यही सब–
हमें सफलता की ओर ले जाएगा . . . 
 
हमारा सही लक्ष्य हो
सही गहरी और बौद्धिक सोच हो 
प्रयासरत बने रहने का 
जज़्बा हो
हमारे भीतर ईमानदारी पूर्वक 
कर्म करने की जिजीविषा हो 
अपना अनुभव, 
अपनी ज्ञान-राशि, 
बुज़ुर्गों, 
शिक्षकों, 
गुरुजनों, 
माता-पिताओं, 
भाई-बहनों, 
पड़ोसियों, 
मित्रों
बंधु-बांधव, 
सगे-संबंधियों का सुझाव, 
उनका मार्गदर्शन–
सब मिलाकर हमें ज़रूर 
और ज़रूर सफलता दिलाएँगे। 
दूर करना होगा केवल भीतर की 
निराशा–
हताशा-
घुटन-
दुःखानुभूति–
चिंता-
तनाव-
टेंशन-
अवसाद-
आलस्य-
ईमानदारी रहित जीवन-पद्धति-
और–
अनुशासनहीनता, 
उद्दंडता, 
उच्छृंखलता, 
मर्यादा रहित चिंतन
और 
कुत्सित विचारधारा का स्वभाव . . .! 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

साहित्यिक आलेख

कविता

सांस्कृतिक आलेख

सामाजिक आलेख

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं