छठ पर्व मनाएँ मगर सावधानी से
आलेख | काम की बात पं. विनय कुमार15 Nov 2024 (अंक: 265, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
छठ पर्व आ गया है और उसके साथ तैयारी भी शुरू हो गई है। ज़ाहिर है ऐसे मौक़े पर ख़ुशियों का पारावार नहीं रहता। हर व्यक्ति के दिल में आनंद और उत्साह और उसके साथ एक अलग भक्ति जो हमें जोड़ती है अपनी परंपरा से रीति रिवाज़ से पर्व त्योहार से और अपने-अपने कर्मों से भी। और ज़ाहिर है कि पर्व त्योहार के अवसर पर हमारे भीतर जो बंधन होता है उससे हम मुक्त होते हैं और मुक्ति की स्थिति यह कि हम अपना कर्त्तव्य भूल जाते हैं अपनी सावधानियाँ भूल जाते हैं। कई तरह के ख़तरे मोल ले लेते हैं और ग़लतियाँ कर बैठते हैं।
अक्सर छठ पर्व में लोग नदियों तालाबों में स्नान करते हैं। और बच्चों या महिलाओं को गहरी नदी में जाकर डुबकियाँ लगाते हुए देखा जाता है। ऐसे अवसर पर यदि ध्यान ना दिया जाए तो दुर्घटना होने का अंदेशा रहता है। इसी तरह बाज़ार में पूजा का सामान लेते हुए आने-जाने के क्रम में हम हड़बड़ी कर बैठते हैं और चोट-चपेट के शिकार हो जाते हैं। और इसके अलावा जब छठ पर्व के मौक़े पर गंगा नदी या तालाब के किनारे डूबते और उगते सूर्य को अर्ध्य दिए जाते हैं तब बच्चे पटाखे जलाने लगते हैं जिससे उनके हाथ पाँव चेहरे आदि जलने का भी ख़तरा बना रहता है। इस तरह की कई और समस्याएँ हम देखा करते हैं और उससे हम सावधान नहीं रह पाते।
इसी तरह छु्ट्टी के मौसम में बच्चे बाज़ार की चीज़ें भी खाने लगते हैं। जिससे उनके पेट ख़राब होने का डर रहता है और सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। छठ पर्व के मौक़े पर हमें कई तरह की सावधानियाँ के साथ घर में रहना चाहिए साथ ही अपने बच्चों को यह दायित्व बोर्ड दिया जाना चाहिए कि वह आवश्यकता अनुसार घर में अपने माता-पिता या अपने संबंधियों का सहयोग कर सके। इस तरह के अवसर पर भी अक्सर हम कई तरह की लापरवाहियाँ कर बैठते हैं जो ख़तरे से ख़ाली नहीं होता। जैसे:
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शुद्धता-अशुद्धता का ख़्याल नहीं रखना।
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साफ़-सफ़ाई का ख़्याल नहीं रखना।
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लोगों से मधुर व्यवहार का ख़्याल नहीं रखना।
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अपने काम को समय पर करने का ख़्याल नहीं रखना
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अपने स्वास्थ्य का भी ख़्याल नहीं रखना।
इस प्रकार से हम छठ पर्व के मौक़े पर हम अपना ख़्याल रख सकते हैं और दूसरों का भी ख़्याल रख सकते हैं।
पंडित विनय कुमार
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