शरीर का घाव
काव्य साहित्य | कविता पं. विनय कुमार1 Aug 2021 (अंक: 186, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
कितना कष्टकारी होता है—
शरीर के हिस्से का घाव
जिसे होता है
वह इसका दर्द जानता है।
दर्द असह्य होता है
तब चला-फिरा नहीं जाता;
तब मित्र बार-बार सलाह देंगे कि
फ़लाँ दवा ले लीजिए।
किसी ने कहा- साइलेसिया- 200 मिलीग्राम
किसी ने फ़रमाया—
सिफ्रान सीटी, पेरासिटामोल और
विटामिन सी एंड मल्टीविटामिन कैप्सूल लेना शुरू कर दें।
पत्नी ने कहा—
गर्म पानी से सेंक देती हूँ ।
एक अन्य ने कहा—
हाथ-पैर में तेल लगा दूँ
ताकि घाव का दर्द और
जलन कम हो सके।
लेकिन आराम तो नहीं है
शायद धीरे-धीरे होगा।
जीवन के आँगन में
जब विपरीत परिस्थितियों के घाव
आने लगते हैं
तब इसी तरह
मित्र, पत्नी एवं अन्य लोग
काम आते हैं
तब थोड़ा कष्ट ज़रूर
कम हो जाता है।
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