क्यों उदास होता है मन?
काव्य साहित्य | कविता पं. विनय कुमार15 Nov 2025 (अंक: 288, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
क्यों उदास होता है मन?
हर बार यह प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाता है
कि आख़िर मन क्यों उदास हो जाता है?
और अक्सर काम करते हुए मन क्यों थक-सा जाता है?
प्रश्न आसान है
उत्तर कठिन है
जीवन की ज़रूरतें बढ़ रही हैं
इच्छाएँ भी निरंतर बढ़ रही हैं
काम करने के तरीक़े
और दिन पर दिन होते
अनुसंधान भी बढ़ रहे हैं
हम किस दोष दे सकते हैं?
मन को या मन में उठते
विचार को
या फिर भीतर की भावना को
अपने मित्रों और पड़ोसियों को तो दोष नहीं दे सकता—
अपने आप को भी दोष नहीं दे सकता
क्योंकि सारा कुछ प्रकृति के अधीन है
प्रकृति के द्वारा ही बनाया गया है
और अंततः
प्रकृति में ही विलीन हो जाता है।
यह सच है
जीवन का यही बड़ा सच है
हर बार सच से हमारी मुठभेड़ होती है
हम नहीं चाहते हुए भी
वैसे कार्य कर डालते हैं
जिससे तनाव बढ़ता है
जिससे हमारी इच्छाएँ फलती-फूलती रहती हैं
काम, क्रोध, मद, लोभ-सारा कुछ
हमारे भीतर आने लगते हैं।
सारा कुछ तो
इसी प्रकृति के द्वारा प्राप्त हुआ है
प्रकृति से तो हम अलग हो नहीं सकते
हमारे भीतर आनंद भी है
अवसाद भी है
हमारे भीतर सुख भी है
और दुख भी है
हमारे भीतर आशा भी है निराशा भी है
हमारे भीतर
सफलता भी है
विफलता भी है
हानि भी है लाभ भी है—
तुलसीदास के शब्दों में—
हानि लाभ जीवन मरण
जसु अपजसु विधि हाथ।
प्रकृति में सब कुछ है और
हम उसी में जी रहे हैं।
फिर मन के
उदासी का कारण क्या है?
कहाँ तलाश करें हम
अपने जीवन की परिस्थितियों में
डूबते हुए
कभी उसमें चहलक़दमी करते हुए
हँसते-मुस्कुराते-गाते हुए
हम उदास होते रहते हैं—
जीवन उदासी का नाम है
जीवन हताशा और निराशा का नाम है
सब निराश हुए थे—
युद्ध करते हुए राम भी निराश हुए और
माता दुर्गा की आराधना कर डाली।
बुद्ध भी निराश हुए
और उन्होंने संसार त्याग दिया—
सबों ने निराशा को झेला—
लेकिन अपने भीतर की शक्ति को पहचाना भी।
हम भी
उसी तरह अपने भीतर की शक्ति को
पहचानने की कोशिश करें—
जैसे आता है सूरज का प्रकाश
जैसे आती है हवाओं से सुगंध
और मन खिल उठता है गर्मियों में—
बरसात भी आती है तो नाचते हैं मोर
बादलों को देखकर!
ख़ुशियाँ तो हमारे ही पास हैं
ढूँढ़नी होंगी—
मृग की नाभि में मौजूद कस्तूरी की तरह!
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
चिन्तन
काम की बात
साहित्यिक आलेख
सांस्कृतिक आलेख
सामाजिक आलेख
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं