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एक-नेक हरियाणवी

 

धरम-करम का पालन करै, गीता सै उपदेश,
सच माने तो हरि बसै, हरियाणा परदेश!
 
अमन-चैन की धरती सै, वेदां का ज्ञान,
मिट्टी सै वीरां की — राखे देश की आन!
 
हट्टे-कट्टे लोग सैं, अलग-अलग सैं भेस,
पर दिल सैं सारे एक — ना राग, ना द्वेष!
 
कुरुक्षेत्र की धरती सै, कर्म का परवाह,
पानीपत का मैदान — लड़े कित-कित राह!
 
चप्पे-चप्पे मं लिखी, बलिदान की लेख,
आंदोलन का गढ़ सै — जगा सारा देश!
 
मर्दां युद्ध पलट दिये, छोरियां जित ली तीर,
एक-नेक हरियाणवी — सिखा दें धीर-वीर!
 
त्योहारां मं मेल-जोल, गीतां का परिवेश,
मानवता का पालन — प्रेम का संदेश!
 
माथे इस धरती पे, सरस्वती का बास,
हरि खुद रहै इब्ब के — हरियाणा खास!
 
एक-नेक हरियाणवी — दिल सै नेक सैं सब,
धरती सै सोने की — मन सै दूध जैं सफेद!

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