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सशक्त भारत

 

सत्तर बरस की कठिन कहानी, 
मेहनत, संघर्ष और बलिदानी, 
अब सवाल है— क्यों रुक जाएँ? 
जब नेतृत्व का समय बुलाए। 
 
शक्ति है खेतों की लहराती बयार, 
शक्ति है विज्ञान का ऊँचा आधार, 
शक्ति है उद्योग, रक्षा, सेवा, 
शक्ति है एकता का अमिट मेवा। 
 
शिक्षा की ज्योति जलाए हर द्वार, 
ज्ञान बने जन-जन का आधार, 
किसान का पसीना मोती बने, 
हर गाँव में विकास की ज्योति जले। 
 
तकनीक में स्वदेशी झंडा लहराए, 
रक्षा में अपना हुनर चमकाए, 
ऊर्जा हो स्वच्छ, हरित, सुहानी, 
आने वाली पीढ़ी की रौशन कहानी। 
 
धर्म-भाषा का अंतर मिटाएँ, 
विविधता का उत्सव हम मनाएँ, 
विश्व सुने भारत का संदेश, 
सत्य, साहस, सेवा विशेष। 
 
अशोक चक्र की गति न थमे, 
हर पीढ़ी का संकल्प जगे, 
बस एक क़दम और बढ़ाना है, 
भारत को विश्व का दीप बनाना है। 
 
सशक्त भारत—नेतृत्वकारी भारत, 
मानवता का उजियारा भारत, 
उन्नीस सौ सैंतालीस से आज तलक, 
भारत का समय अब है— अब और अब! 

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