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बने संतान आदर्श हमारी

 

(बाल दिवस विशेष)

बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं। 
सोच रहा हूँ जो बच्चा आये, उसका रूप, गुण सुना दूँ मैं॥
 
बाल घुँघराले, बदन गठीला, चाल, ढाल में तेज भरा हो। 
मन शीतल हो ज्यों चंद्र-सा, ओज सूर्य-सा रूप धरा हो॥
 
मन भाये नक़्श, नैन हों, बातें दिल की बता दूँ मैं। 
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं॥
 
राह चले वो वीर शिवा की, राणा की, अभिमन्यु की। 
शत्रुदल को कैसे जीते, सीख चुने वो रणवीरों की॥
 
बन जाये वो सच्चा नायक, ऐसे मंत्र पढ़ा दूँ मैं। 
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं॥
 
सीख सिखले माँ पन्ना की, झाँसी वाली रानी की। 
दुर्गावती-सा शौर्य हो, लाज पद्मावत मेवाड़ी-सी॥
 
भक्ति में हो अहिल्या मीरा, ऐसी घुटकी पिलवा दूँ मैं। 
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं॥
 
पुत्र हो तो प्रह्लाद-सा, राह धर्म की चलता जाये। 
ध्रुव तारा-सा अटल बने वो, जो सत्य पथ दिखलाये॥
 
पुत्री जनकर मैत्री, गार्गी, ज्ञान की ज्योत जलवा दूँ मैं। 
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं॥
 
सोच रहा हूँ जो बच्चा आये, उसका रूप, गुण सुना दूँ मैं। 
बने संतान आदर्श हमारी, वो बातें सिखला दूँ मैं॥

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  4. तितली है खामोश