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हर दिन करवा चौथ

जिनके सच्चे प्यार ने, भर दी मन की थोथ। 
उनके जीवन में रहा, हर दिन करवा चौथ॥
 
हम ये सीखें चाँद से, होता है क्या प्यार। 
कुछ कमियों के दाग़ से, टूटे न ऐतबार॥
 
मन ने तेरा व्रत लिया, हुई चाँदनी शाम। 
साथी मैंने कर दिया, सब कुछ तेरे नाम॥
 
मन में तेरा प्यार है, आँखों में तस्वीर। 
हर लम्हे में है छुपी, बस तेरी तासीर॥
 
अब तो मेरी क़लम भी, करती तुमसे प्यार। 
नाम तुम्हारा ही लिखे, काग़ज़ पर हर बार॥
 
मन चातक ने है रखा, साथी यूँ उपवास। 
बुझे न तेरे बिन परी, अब ‘सौरभ’ की प्यास॥
 
तुम राधा, मेरी बनो, मुझको कान्हा जान। 
दुनिया सारी छोड़कर, धर लें बस ये ध्यान॥
 
मेरे गीतों में बसी, बनकर तुम संगीत। 
टूटा हुआ सितार हूँ, बिना तुम्हारे मीत॥
 
माने कब हैं प्यार ने, ऊँच-नीच के पाश। 
झुकता सदा ज़मीन पर, सज़दे में आकाश॥

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