हर दिन होगी तीज
काव्य साहित्य | दोहे डॉ. सत्यवान सौरभ1 Aug 2022 (अंक: 210, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
सावन में है तीज का, एक अलग उल्लास।
प्रेम रंग में भीग कर, कहती जीवन ख़ास॥
जैसे सावन में सदा, होती ख़ूब बहार।
ऐसे ही हर घर सदा, मने तीज त्योहार॥
हाथों में मेंहदी रची, महक रहा है प्यार।
चूड़ी, पायल, करधनी, गोरी के शृंगार॥
उत्सव, पर्व, समारोह है, ये हरियाली तीज।
आती है हर साल ये, बोने ख़ुशियाँ बीज॥
अगर हमीं बोते रहे, राग-द्वेष के बीज।
होंगे फीके प्रेम बिन, सावन हो या तीज॥
बोए मिलकर हम सभी, अगर प्रेम के बीज।
रहे न चिन्ता दुख कभी, हर दिन होगी तीज॥
प्यार-प्रेम सिंचित करें, हृदय यूँ दे बीज।
हरी-भरी हो ज़िन्दगी, तभी सफल हो तीज॥
भावहीन अब हो रहे, सभी तीज त्यौहार।
लगे प्यार के बीज यदि, मिटे दिलों की रार॥
सावन झूले हैं कहाँ, और कहाँ है तीज।
मन में भरे कलेश के, सबके काले बीज॥
मन को ऐसे रंग लें, भर दें ऐसा प्यार।
हर पल हर दिन ही रहे, सावन का त्यौहार॥
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