अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

गुरुवर जलते दीप से

दूर तिमिर को जो करें, बाँटे सच्चा ज्ञान। 
मिट्टी को जीवित करें, गुरुवर वो भगवान॥
 
जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान। 
गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान॥
 
नानक, गौतम, द्रोण संग, कौटिल्या, संदीप। 
अपने-अपने दौर के, मानवता के दीप॥ 
 
चाहत को पर दे यही, स्वप्न करे साकार। 
शिक्षक अपने ज्ञान से, जीवन देत निखार॥
 
शिक्षक तो अनमोल है, इसको कम मत तोल। 
सच्ची इसकी साधना, कड़वे इसके बोल॥
 
गागर में सागर भरें, बिखराये मुस्कान। 
सौरभ जिसे गुरु मिले, ईश्वर का वरदान॥
 
शिक्षा गुरुवर बाँटते, जैसे तरुवर छाँव। 
तभी कहे हर धाम से, पावन इनके पाँव॥
 
अँधियारे, अज्ञान को, करे ज्ञान से दूर। 
गुरुवर जलते दीप से, शिक्षा इनका नूर॥

(सत्यवान 'सौरभ' के चर्चित दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ से) 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

अँधियारे उर में भरे, मन में हुए कलेश!! 
|

मन को करें प्रकाशमय, भर दें ऐसा प्यार! हर…

अटल बिहारी पर दोहे
|

है विशाल व्यक्तित्व जिमि, बरगद का हो वृक्ष। …

अमन चाँदपुरी के कुछ दोहे
|

प्रेम-विनय से जो मिले, वो समझें जागीर। हक़…

अर्थ छिपा ज्यूँ छन्द
|

बादल में बिजुरी छिपी, अर्थ छिपा ज्यूँ छन्द।…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सामाजिक आलेख

साहित्यिक आलेख

दोहे

सांस्कृतिक आलेख

ललित निबन्ध

पर्यटन

चिन्तन

स्वास्थ्य

सिनेमा चर्चा

ऐतिहासिक

कविता

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं