अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी रेखाचित्र बच्चों के मुख से बड़ों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

डाल सब्र के बीज

 

सूना जब आँगन लगे, बने न कोई बात। 
सब्र रखो उस वक़्त में, वही बने सौग़ात॥
 
धन वैभव जब पास हो, ना कर तू अभिमान। 
क़द्र करो उस दान की, जिसने किया प्रदान॥
 
राह कठिन जब सामने, मन में ना हो रोष। 
सब्र रखो उस वक़्त में, मिल जाए संतोष॥
 
बदले जब तक वक़्त ना, ना हारो विश्वास। 
सब्र करो, फिर आएगा, ख़ुशियों का मधुमास॥
 
अँधियारों में जो जले, सौरभ सच्चा दीप। 
सब्र उसी का नाम है, भरता ख़ाली सीप॥
 
फल की ना कर आस तू, कर कर्मों पर ग़ौर। 
सब्र रखे जो वक़्त में, मिलता उसको और॥
 
हर सुख-दुख का मेल है, जीवन एक किताब। 
सब्र क़द्र जो सीख ले, सच में बदले ख़्वाब॥
 
रूठे जब हालात हों, ना हो मन उदास। 
सब्र करे जो नेक दिल, पाए ख़ूब सुवास॥
 
सुख आए झुक के रहे, ना कर तू अभिमान। 
बिना क़द्र उपहार सब, खो देते नादान॥
 
सूखे मन के खेत में, डाल सब्र के बीज। 
फल फलते हैं धैर्य से, काम न आये खीज॥
 
मिले अगर कुछ वक़्त से, ना कर गर्व अपार। 
क़द्र करे जो काल की, सजे उसका संसार॥
 
धूप सहे जो शांत मन, पाते वही छाँव। 
सब्र रखे तो ना कभी, डगमें उसके पाँव॥
 
चमकेगा वह चाँद भी, जो सहे अंधियार। 
सब्र करे जो रैन में, उजियारा हो यार॥
 
दुःख-दाह से भाग मत, धीरज धर मन मान। 
सब्र सुरा सम जगत में, पी ले साजन जान॥
 
सौरभ विपदा घोर में, रहे विनीत विचार। 
मौन रहें कर काल पर, ब्रह्मास्त्र ज्यों प्रहार॥
 
श्वास-श्वास में साधना, कर्म बना अनुराग। 
सब्र-धर्म से खिल उठे, जीवन बने सुहाग॥
 
संकट हो या सुख मिले, रखे एक-सा भाव। 
क़द्र सब्र संग जो चले, डूबे ना वह नाव॥
 
प्रीति बिना ना सार है, ना धन, ना दरबार। 
सब्र बिना जो जीव है, उसका जीवन भार॥
 
सदा समय सौग़ात की, क़द्र करो हर भाव। 
वरना जीवन शेष में, रह जाए पछताव॥

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

अँधियारे उर में भरे, मन में हुए कलेश!! 
|

मन को करें प्रकाशमय, भर दें ऐसा प्यार! हर…

अटल बिहारी पर दोहे
|

है विशाल व्यक्तित्व जिमि, बरगद का हो वृक्ष। …

अमन चाँदपुरी के कुछ दोहे
|

प्रेम-विनय से जो मिले, वो समझें जागीर। हक़…

अर्थ छिपा ज्यूँ छन्द
|

बादल में बिजुरी छिपी, अर्थ छिपा ज्यूँ छन्द।…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

दोहे

हास्य-व्यंग्य कविता

कविता

सामाजिक आलेख

साहित्यिक आलेख

ऐतिहासिक

सांस्कृतिक आलेख

ललित निबन्ध

लघुकथा

किशोर साहित्य कविता

काम की बात

पर्यटन

चिन्तन

स्वास्थ्य

सिनेमा चर्चा

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं

लेखक की पुस्तकें

  1. बाल-प्रज्ञान
  2. खेती किसानी और पशुधन
  3. प्रज्ञान
  4. तितली है खामोश